ओंकारम बिन्दुसायुक्तं नित्यं ध्यायन्ति योगिनः।कामदं मोक्षदं चैव ॐ काराय नमो नमः।।अविरलशब्दघनौघपरिक्षालितसकलभूतलकलंका।मुनिभिरूपसित्तीर्था सरस्वती ! हरतु नो दूरिता।।पद्मपुराणDownload